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Dear river Print

Gunwantsingh Dewal

India

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ABOUT THE ARTWORK

PAINT By FOOT NOT BY HAND. DEAR REALISM PAINTING Shy dear fill fear at time of drink water In river.

DETAILS AND DIMENSIONS
Print:

Giclee on Canvas

Size:

14 W x 21 H x 1.25 D in

Size with Frame:

15.75 W x 22.75 H x 1.25 D in

SHIPPING AND RETURNS
Delivery Time:

Typically 5-7 business days for domestic shipments, 10-14 business days for international shipments.

Functional area: BY FOOT. Key skills: Foot painting & sculpture (missing both the hands since birth,.but my every work is required by foot.) Previous experience:- 42 years Award details: President award:- in 1984 president zail singh gives me President award.for painting. Art show details: Foot painter.paint by foot on canvas with water,acrylic,oil colour. More about me: जन्म से ही दोनों हाथ नहीं होने के बावजूद पैरों में कलम पकड़कर पढ़ाई की और इसके बाद कलम की जगह छैली और हथौड़ा थाम मूर्तियां बनाने लगे। 51 वर्षीय गुणवंत ने विकलांगता को कभी अपनी राह का रोडा नहीं बनने दिया। पढ़ाई के दौरान जहां उन्होंने स्कूल टॉप किया वहीं पैरों से मूर्तियां व चित्रकारी के बूते राष्ट्रपति से भी सम्मान पाया। बिलोट ग्राम पंचायत के दुर्गा खेडा गांव के ईश्वर सिंह व इंद्राणी के घर जन्मे गुणवंत बाल्यकाल से ही तीव्र बुद्धि के थे। स्कूल जाना शुरू किया और पांव के अंगूठे व अंगूली के बीच कलम फंसाकर लिखना सीखा। कुछ ही समय में चित्रकारी भी करने लगे। आठवीं कक्षा उतीर्ण करने के बाद जब आगे की पढ़ाई के लिए उदयपुर के विद्याभवन में दाखिला दिलाने की बात आई तो संचालक ने यह कह मना कर दिया की अन्य बालक उन्हें चिड़ाएंगे। गुणवंत ने साथियों के ताना की परवाह किए बिना स्कूल टॉप किया। इस दौरान चित्रकारी व मूर्ति कला के चलते वर्ष 1984 में ललित कला अकादमी के माध्यम से उनका चयन राष्टपति अवार्ड के लिए हुआ। गुणवंत को इस अवार्ड से भी नवाजा गया। वर्ष 1987-88 में उदयपुर के शिल्प ग्राम मेले में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने भी उनको सम्मानित किया। गुणवंत सुबह ब्रश करने से नहाना, कपड़े पहनना, सेंविंग आदि सभी दैनिक कार्य बिना किसी की मदद करते हैं।पारिवारिक परिस्थितियों के चलते गुणवंत ने छोड़ी थी पढ़ाई गुणवंत को कला द्वितीय वर्ष की पढ़ाई उत्तीर्ण करने के बाद पारिवारिक परिस्थितियों के चलते पढ़ाई को छोड़नी पड़ी। खेती के कार्य में लगे, आज उनके पास करीब 30 बीघा जमीन है जिस पर वे खेती कर रहे हैं। उनके लेखक पिता का 11 अप्रैल, 1984 को भीलवाड़ा में एक हादसे में मौत हो गई थी। गुणवंत की पहली पत्नी की किडनियां खराब होने से मौत हो गई थी, उन्होंने दोबारा शादी की। आज उनके दो बेटे हैं जो चित्तौड़गढ़ में पढ़ रहे हैं।

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